नए साल में भी सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा भारत

नई दिल्ली

भारत ने 2023 में वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल परिस्थतियों का 'निर्णायक' तरीके से सामना किया और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था का 'दर्जा' कायम रखा।बढ़ती मांग, घटती महंगाई, स्थिर ब्याज दर परिदृश्य और मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार की वजह से 2023 में भी भारतीय अर्थव्यवस्था की चमक बनी रही।

दुनिया के विकसित देशों में व्यापक निराशावाद और बिगड़ती भू-राजनीतिक स्थिति के बावजूद मार्च तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही। जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि सितंबर तिमाही में वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रही।

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था की यह रफ्तार दिसंबर तिमाही में भी जारी रहने की उम्मीद है। इस तरह भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। यानी भारत इस मामले में चीन से आगे रहेगा।

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के ताजा वृद्धि अनुमान के अनुसार, भारत 2023 में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगा, जो चीन और ब्राजील की वृद्धि दर क्रमश 5.2 प्रतिशत और तीन प्रतिशत से कहीं अधिक है। ओईसीडी का अनुमान है कि 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.1 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जबकि चीन की वृद्धि दर 4.7 प्रतिशत रहेगी। हालांकि, भारत के संदर्भ में ओईसीडी के वैश्विक वृद्धि दर के अनुमान को कुछ कम माना जा रहा है।

वहीं दूसरी ओर अमेरिका, ब्रिटेन और जापान सहित कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में नए साल में आर्थिक वृद्धि दर में या तो गिरावट आ सकती है, या इनमें मामूली बढ़ोतरी हो सकती है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के विश्व आर्थिक परिदृश्य के अनुसार, वैश्विक वृद्धि 2022 में 3.5 प्रतिशत से घटकर 2023 में तीन प्रतिशत और 2024 में 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि भारत की वृद्धि ने ''कई बाहरी झटकों के बावजूद काफी जुझारू क्षमता दिखाई है।''

उन्होंने कहा कि लोगों को बेहतर कौशल और संपत्ति से 'लैस' करने से 2024 और उससे आगे भारत अच्छी वृद्धि हासिल कर सकता है।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि आने वाले वर्ष में भूराजनीतिक घटनाक्रम फिर से भारत की घरेलू मांग की मजबूती का परीक्षण करेगा।

उन्होंने कहा, ''हमें उम्मीद है कि आने वाले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहेगी, जो चालू वित्त वर्ष से कुछ कम है।''

अर्थव्यवस्था पर भारतीय रिजर्व बैंक के एक हालिया लेख में कहा गया है कि ''वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारत 2023 में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहा।''

एमपीसी के सदस्य जयंत आर वर्मा ने कहा, ''कुछ कठिन वर्षों के बाद आर्थिक माहौल बेहतर हो रहा है। महंगाई घट रही है और वृद्धि बढ़ रही है। ज्यादातर अनुमानों में कहा गया है कि 2024-25 में भारत की वृद्धि दर 2023-24 की तुलना में कुछ कम रहेगी। वृद्धि की राह में सबसे बड़ा जोखिम वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती और भूराजनीतिक दबाव है।''

निवेश के सुरक्षित विकल्प के रूप में 'चमक' कायम, नए साल में 70,000 रुपये पर पहुंच सकता है सोना

मुंबई

पीली धातु की चमक नए साल 2024 में भी बनी रहेगी। 2024 साल सोना 70,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये की स्थिरता, भूराजनीतिक अनिश्चितता और धीमी वैश्विक आर्थिक वृद्धि के कारण नए साल में भी सोने का आकर्षण कायम रहेगा।

फिलहाल जिंस एक्सचेंज एमसीएक्स में सोना 63,060 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह 2,058 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस के आसपास है। वहीं रुपया इस समय 83 प्रति डॉलर के पार पहुंच चुका है।

दिसंबर की शुरुआत में वैश्विक तनाव की वजह से पश्चिम एशिया में सोने के दाम एक बार फिर चढ़ गए। उभरते बाजार के कारोबारियों का अनुमान है कि ब्याज दर में बढ़ोतरी का चक्र कमोबेश समाप्त हो चुका है।

हालांकि, इस साल सोने की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव रहा। घरेलू बाजार में चार मई को पीली धातु का भाव 61,845 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक नए उच्चस्तर पर पहुंच गया। वैश्विक बाजारों में यह 2,083 डॉलर प्रति औंस की नई ऊंचाई पर पहुंच गया।

बाद में 16 नवंबर को सोना 61,914 रुपये प्रति 10 ग्राम की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया।

कॉमट्रेंड्ज रिसर्च के निदेशक ज्ञानशेखर त्यागराजन ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''निवेश के सुरक्षित विकल्प के रूप में सोने का आकर्षण बरकरार है। यही वजह है कि इस साल चार दिसंबर को सोने का भाव 64,063 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया। वैश्विक बाजार में यह 2,140 डॉलर प्रति औंस के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।''

उन्होंने कहा, ''हमें उम्मीद है कि 2024 में अंतत: यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2,400 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच जाएगा। वहीं घरेलू बाजार में सोना 70,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर जा सकता है।''

उन्होंने कहा कि चुनावी साल में रुपया कमजोर हो सकता है। इससे घरेलू स्तर पर सोने के दाम बढ़ेंगे।

कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष – प्रमुख जिंस शोध रविंद्र राव ने कहा कि खुदरा आभूषण खरीदारी को भारत और चीन में उच्च घरेलू कीमतों से प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। यदि मौजूदा रफ्तार जारी रहती है, तो केंद्रीय बैंकों की मांग पिछले साल के रिकॉर्ड से अधिक हो सकती है।

राव ने कहा कि सोने का दाम भले ही कुछ समय तक ऊंचा बना रहे, लेकिन मौजूदा भू-राजनीतिक माहौल, धीमी वैश्विक वृद्धि और आर्थिक अनिश्चितता की वजह से पीली धातु का आकर्षण बना रहेगा।

ऑल इंडिया जेम एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल (जीजेसी) के चेयरमैन संयम मेहरा ने कहा कि सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव से बिक्री पर असर पड़ा है और 30-35 लाख शादियों के बावजूद इस साल पीली धातु का कारोबार कमोबेश 2022 जैसा ही रहेगा।

उन्होंने कहा कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरें घटाने और भूराजनीतिक तनाव जारी रहने, कमजोर रुपये से सोने को समर्थन मिलेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह 2,250-2,300 डॉलर प्रति औंस पर जा सकता है। घरेलू बाजार में यह 68,000-70,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक जा सकता है।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के क्षेत्रीय मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सोमसुंदरम पीआर ने कहा कि विभिन्न कारकों से वर्ष के दौरान सोने की कीमतें वैश्विक स्तर पर ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। इससे महंगाई के खिलाफ 'हेजिंग' के लिए सोने की भूमिका बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि सितंबर तिमाही में सोने की कीमत पिछले साल से 12 प्रतिशत कम रही। वर्ष 2023 में सोने की मांग पिछले साल से थोड़ी कम 700-750 टन रहेगी। हालांकि, सोने में निवेश का मूल्य कुछ ऊंचा रहेगा।

जेम ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के चेयरमैन विपुल शाह ने कहा कि महत्वपूर्ण बाजारों में मांग घटने की वजह से निर्यातकों के लिए यह साल काफी कठिन रहा। ''हालांकि, अब स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। हमें उम्मीद है कि 2024 में चीजें सुधरेंगी।''

सेंसेक्स की शीर्ष 10 में से आठ कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 1.29 लाख करोड़ रुपये बढ़ा

नई दिल्ली

सेंसेक्स की शीर्ष 10 में से आठ कंपनियों के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में पिछले सप्ताह सामूहिक रूप से 1,29,899.22 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई।

बीते कम कारोबारी सत्रों वाले सप्ताह में बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,133.3 अंक या 1.59 प्रतिशत के लाभ में रहा।

सेंसेक्स 28 दिसंबर को 72,484.34 अंक के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंचा।

'क्रिसमस' के अवसर पर सोमवार को शेयर बाजार बंद रहे थे।

समीक्षाधीन सप्ताह में रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, भारती एयरटेल, आईटीसी, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के बाजार पूंजीकरण में बढ़ोतरी हुई। वहीं टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और इन्फोसिस की बाजार हैसियत घट गया।

सप्ताह के दौरान एचडीएफसी बैंक का बाजार मूल्यांकन सबसे अधिक 29,828.84 करोड़ रुपये बढ़कर 12,97,972.04 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। एलआईसी के बाजार मूल्यांकन में 25,426.49 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई और यह 5,27,062.06 करोड़ रुपये रहा।

भारती एयरटेल की बाजार हैसियत 24,510.96 करोड़ रुपये बढ़कर 5,80,645.54 करोड़ रुपये पर और हिंदुस्तान यूनिलीवर की 20,735.14 करोड़ रुपये के उछाल के साथ 6,25,778.39 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।

रिलायंस इंडस्ट्रीज की बाजार हैसियत 13,633.07 करोड़ रुपये बढ़कर 17,48,827.92 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। आईटीसी का मूल्यांकन 9,164.74 करोड़ रुपये के उछाल के साथ 5,76,809.77 करोड़ रुपये हो गया।

एसबीआई ने सप्ताह के दौरान 4,730.04 करोड़ रुपये जोड़े और इसका बाजार पूंजीकरण 5,72,915.46 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

आईसीआईसीआई बैंक का मूल्यांकन 1,869.94 करोड़ रुपये बढ़कर 6,98,965.47 करोड़ रुपये हो गया।

इस रुख के उलट टीसीएस का बाजार पूंजीकरण 11,105.22 करोड़ रुपये घटकर 13,88,591.70 करोड़ रुपये रह गया। इन्फोसिस की बाजार हैसियत में 7,946.24 करोड़ रुपये की गिरावट आई और यह 6,40,351.80 करोड़ रुपये पर आ गई।

शीर्ष 10 कंपनियों की सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज पहले स्थान पर कायम रही। उसके बाद क्रमश: टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस, हिंदुस्तान यूनिलीवर, भारती एयरटेल, आईटीसी, एसबीआई और एलआईसी का स्थान रहा।

 

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