रांची
 नए साल पर झारखंड के पर्यटन स्थलों को सैलानियों के स्वागत के लिए सजाया गया है। राज्य प्रशासन ने सभी जिलों को पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात करने और उन जलाशयों पर गोताखोर तैनात करने का आदेश दिया है जहां पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं।

रविवार को एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें आवश्कतानुसार ड्रोन से निगरानी करने के भी आदेश दिए गए हैं। झारखंड में हर वर्ष 30 दिसंबर से जनवरी के पहले सप्ताह तक बड़ी संख्या में लोग झील,पहाड़़ी, बांध, नदी, पार्क, अभयारण्य आदि आते हैं।

रांची के आसपास, दशम, हुंडरु, जोन्हा, पंचघाघ, सीता और हिरनी झरनों पर 25 दिसंबर के पहले से ही पर्यटकों की संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है।

पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, पर्यटन विभाग ने 'पर्यटक मित्रों' को सचेत किया है, साथ ही स्थानीय गोताखोरों को भी नियुक्त किया गया है। झारखंड के प्रमुख झरनों का प्रबंधन और रखरखाव करने वाली झारखंड पर्यटन विकास निगम(जेटीडीसी) की एक शाखा में 110 पर्यटक मित्र कार्य कर रहे हैं।

तेज म्यूजिक पर प्रतिबंध
जलाशयों की साफ-सफाई और सुरक्षा को देखते हुए प्लास्टिक और थर्माकोल की वस्तुओं के उपयोग के साथ-साथ तेज संगीत बजाने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। जेपीएसएस के अध्यक्ष राज किशोर प्रसाद ने बताया कि झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार के विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिदिन लगभग 10,000 पर्यटक सात झरनों (हुंडरु, जोन्हा, लोध, दशम, पंचघाघ और हिरनी) में आते हैं लेकिन नव वर्ष पर यह संख्या बढ़ जाती है।

जलाशयों की साफ सफाई और सुरक्षा को देखते हुए प्लास्टिक और थर्माकोल की वस्तुओं के उपयोग के साथ-साथ तेज संगीत बजाने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

जेपीएसएस के अध्यक्ष राज किशोर प्रसाद ने बताया कि झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार के विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिदिन लगभग 10,000 पर्यटक सात झरनों (हुंडरु, जोन्हा, लोध, दशम, पंचघाघ और हिरनी) में आते हैं लेकिन नव वर्ष पर यह संख्या बढ़ जाती है।

झारखंड में हर वर्ष 30 दिसंबर से जनवरी के पहले सप्ताह तक बड़ी संख्या में लोग झील,पहाड़ी, बांध, नदी, पार्क, अभयारण्य आदि जगहों पर आते हैं। रांची के आसपास, दशम, हुंडरु, जोन्हा, पंचघाघ, सीता और हिरनी झरनों पर 25 दिसंबर के पहले से ही पर्यटकों की संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है। पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, पर्यटन विभाग ने ‘पर्यटक मित्रों’ को सचेत किया है, साथ ही स्थानीय गोताखोरों को भी नियुक्त किया गया है। झारखंड के प्रमुख झरनों का प्रबंधन और रखरखाव करने वाली झारखंड पर्यटन विकास निगम(जेटीडीसी) की एक शाखा में 110 पर्यटक मित्र कार्य कर रहे हैं।

 

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