आईसीयू, ब्लड बैंक, ऑपरेशन कक्ष और ओपीडी का बारीकी से किया निरीक्षण
रिकॉर्ड दुरुस्त करने के निर्देश, मरीजों को दवाइयां सही समय पर मिलने की जांच
दुर्ग। जिले के नव पदस्थ कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह ने शनिवार को प्रातः 9 बजे जिला अस्पताल दुर्ग का आकस्मिक निरीक्षण किया। जिले में पदभार संभालने के बाद जिला अस्पताल का यह पहला निरीक्षण है। इस दौरान कलेक्टर ने अस्पताल के ओपीडी, रजिस्ट्रेशन काउन्टर एवं डॉक्टरों की सभी ओपीडी, पुरुष वार्ड, महिला वार्ड, शिशु वार्ड, डिलीवरी वार्ड, ऑपरेशन कक्ष सहित सभी वार्डों का निरीक्षण किया। उन्होंने वार्डाें में भर्ती मरीजों से उपचार के संबंध में रु-ब-रु चर्चा भी की। कलेक्टर श्री सिंह ने आईसीयू, ब्लड बैंक, एनआरसी, एसएनसीयू, डीईआईसी और प्रसव विभाग का भी निरीक्षण किया और चिकित्सा अधिकारियों व चिकित्सकों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उन्होंने दवाई वितरण कक्ष का भी निरीक्षण किया और मरीज को मिल रहे दवाइयों का भी निरीक्षण किया। साथ ही सिविल सर्जन को रिकॉर्ड दुरुस्त करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर सहायक कलेक्टर श्री एम. भार्गव, एसडीएम श्री हरवंश सिंह मिरी, सीएमएचओ डॉ. मनोज दानी, सिविल सर्जन डॉ. एच.एस. साहू, डॉ. ओ.पी. वर्मा सहित अन्य चिकित्सक उपस्थित थे।
अवार्ड राशि 351774267 रूपए रही

दुर्ग। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार एवं छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के मार्गदर्शन में तथा डॉ. प्रज्ञा पचौरी, प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन में जिला न्यायालय एवं तहसील व्यवहार न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसके तहत जिला न्यायालय दुर्ग, कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग, व्यवहार न्यायालय भिलाई-3, व्यवहार न्यायालय पाटन एवं व्यवहार न्यायालय धमधा तथा किशोर न्याय बोर्ड दुर्ग, श्रम न्यायालय दुर्ग, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग राजस्व न्यायालय दुर्ग एवं उपभोक्ता फोरम दुर्ग में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।
उक्त नेशनल लोक अदालत में निराकृत प्रकरण के कुछ महत्वपूर्ण प्रकरण निम्नानुसार रहे-
रिश्तेदारों के आपसी राजीनामा से आपराधिक काउन्टर मामला हुआ समाप्तः- मामला खंडपीठ क्र. 14 के पीठासीन अधिकारी कु. श्वेता पटेल, न्यायिक मजिस्ट्रेट
प्रथम श्रेणी दुर्ग के न्यायालय का है. जिसमें शासन विरूद्ध श्रीनिवास शाह एवं शासन विरूद्ध रामकुमार शाह दोनों अभियुक्त आपस में रिश्तेदार थे. जिनके मध्य आपस में लड़ाई-झगडा गाली-गलौच होने से एक दूसरे के विरूद्ध काउन्टर मामला अंतर्गत धारा 294, 506 बी. 323/34 भा.दं.वि. थाने में दर्ज हुआ था। संबंधित मामला न्यायालय के समक्ष सुनवाई हेतु प्रस्तुत होने से उक्त प्रकरण में आज आयोजित नेशनल लोक अदालत में दोनों अभियुक्तगण को न्यायालय द्वारा समझाईश दिये जाने से उभय पक्ष/अभियुक्तगण आपसी राजीनामा से मामला समाप्त कर दोनो रिश्तेदार आपस में पुनः मधुर संबंध स्थापित कर पुनः आपस में लडाई झगड़ा नहीं करना व्यक्त कर राजीखुशी से अपने घर वापस गए। जिससे लोक अदालत का सार पूर्ण हुआ अर्थात् न किसी की जीत न किसी की हार।
दाम्पत्य जीवन हुआ फिर से खुशहाल –
मामला कुटुम्ब न्यायालय के खंडपीठ क्र. 1 पीठासीन अधिकारी श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग के न्यायालय का है, जिसमें आवेदक ने आवेदिका से विवाह विच्छेद का मामला प्रस्तुत किया था। आवेदक एवं अनावेदिका का विवाह 27 अप्रैल 2015 को हिन्दू रीति-रिवाज से सम्पन्न हुआ था। अनावेदिका शादी के पूर्व दोस्त से बातचीत करती रहती थी और पूछे जाने पर टाल मटोल करती थी। अनावेदिका को काफी समझाने के बाद भी वह नहीं मानी और दिनांक 19 मार्च 2016 को ससुराल में बैठक होने पर अपनी गलती स्वीकार किया। आवेदक अनावेदिका की गलती को माफ कर सम्मान पूर्वक वापस ले आया और पारिवारिक जीवन का निर्वहन करने लगा पुत्री के जन्म के बाद अनावेदिका आवेदक पर ध्यान देना बंद कर दी और मानसिक एवं शारीरिक रूप से परेशान करने लगी। अनावेदिका बार-बार मायके चली जाती अंततः आवेदक ने अनावेदिका से परेशान होकर विवाह विच्छेद का मामला प्रस्तुत किया।
नेशनल लोक अदालत में बिखरा परिवार हुआ पुनः एक –
मामला कुटुम्ब न्यायालय के खंडपीठ क्र.1 पीठासीन अधिकारी श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग के न्यायालय का है, जिसमें आवेदिका ने आवेदक के विरूद्ध भरण पोषण राशि दिलाने का मामला प्रस्तुत किया था। आवेदिका एवं अनावेदक का विवाह हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार 27 जून 2020 को सम्पन्न हुआ तथा दो-चार माह बाद अनावेदक एवं ससुर द्वारा कम दहेज लायी हो कहकर बात-बात पर ताना मारकर मारपीट करने लगा, जिसके संबंध में सभी परिजनों को बुलाकर बैठक कराये जाने पर बैठक के बाद पुनः दहेज की मांग और बढ़ गयी और नवंबर 2024 को अनावेदक ने आवेदिका को उसके मायके छोड़ दिया। अनावेदक द्वारा भरण-पोषण हेतु ध्यान नहीं देने के कारण उसके पास जीवकोपार्जन की संकट आने से आवेदिका द्वारा मजबूर होकर अनावेदक के विरूद्ध भरण पोषण का मामला प्रस्तुत किया गया।
आपसी विवाद समाप्त कर हंसी-खुशी वापस लौटे भाई-बहन-
मामला खंडपीठ क्र. 13 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती कामिनी जायसवाल. न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के न्यायालय का है, वर्ष 2021 से लंबित आपराधिक प्रकरण महज एक पारिवारिक विवाद से उपजा था। समय के साथ विवाद इतना बढ़ गया कि भाई-बहन के रिश्ते में दूरियां आ गई। भाई अपनी बहन के घर गया, जहां किसी छोटी से बात पर कहासुनी हो गई और बहस धीरे-धीरे गालीगलौच व मारपीट में तब्दील हो गई जिससे स्थिति और बिगड़ गई। विवाद इतना बढ़ गया कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और मामला न्यायालय में संस्थित हुआ। परिवार में बढ़ती दूरियां मुकदमें के चलते और बढ़ते चली गई तथा भाई-बहन के बीच बातचीत पूरी तरह बंद हो गया। जो रिश्ते कभी प्रेम और विश्वास के थे, वे कटुता और वैमनस्य में बदल गए। न्यायालय द्वारा मामले की प्रकृति को देखते हुए इसे नेशनल लोक अदालत में रखे जाने का निर्णय लिया गया। जो एक नई शुरुआत की उम्मीद से कर आया और उक्त संबंध में उभयपक्ष के नेशनल लोक अदालत के दिन न्यायालय में उपस्थित होने से न्यायालय द्वारा समझाईश दी गई कि आपसी विवादों को भूलकर रिश्तों को संजोना ही सही रास्ता है। सुलह की ओर एक कदम लोक अदालत की समझाईश का सकारात्मक प्रभाव पड़ा। भाई-बहन ने आपसी मतभेद भुलाकर एक-दूसरे से माफी मांगी। जो रिश्ते कड़वाहट से भरे थे वे फिर से प्रेम और विश्वास में बदल गए। दोनों मुस्कुराते हुए अपने घर लौटे, और वर्ष 2021 से लंबित यह मामला समाप्त हो गया।
विडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से उत्तरप्रदेश में उपस्थित आवेदिका से अनावेदक का हुआ राजीनामा-
मामला खंडपीठ क्र. 19 के पीठासीन अधिकारी सुश्री पायल टोप्नो, न्यायिक मजिस्टेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के न्यायालय का है, प्रार्थिया द्वारा अपने पड़ोस में रहने वाले अनावेदक को 15000 रूपए पेट्रोल पंप के मैनेजर को दिये जाने हेतु दिया गया था किंतु अनावेदक द्वारा मैनेजर को उक्त रूपये प्रदान नहीं किया गया तथा प्रार्थिया के द्वारा अपने रूपये मांगे जाने पर तथा अनावेदक द्वारा पैसे नहीं दिये जाने के कारण उभयपक्ष के मध्य वाद-विवाद, गाली-गलौच मारपीट इत्यादि हुआ था. जिसका काउंटर मामला/रिपोर्ट उपभयपक्ष द्वारा थाना खुर्सीपार में किया गया था। उक्त प्रकरण नेशनल लोक अदालत में रखा गया। आज दिनांक को प्रार्थिया उत्तरप्रदेश में होने से नेशनल लोक अदालत के समक्ष भौतिक रूप से उपस्थित होने में सक्षम नहीं थी। उक्त परिस्थिति में उभयपक्षों के मध्य राजीनामा की संभावनाएं नाम मात्र थी किंतु आज आयोजित नेशनल लोक अदालत में वीडियों कान्फ्रेंसिंग की सुविधा से आवेदिका से संपर्क स्थापित कर आवेदिका की उपस्थिति लेते हुए प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदक के मध्य राजीनामा के तहत मामला समाप्त हुआ। उक्त प्रकरण में आवेदिका को न्यायालय तक आने की आवश्यकता नहीं पड़ी जो न्यायालय द्वारा माननीय सर्वाेच्च न्यायालय के ई-कोर्ट मिशन अंतर्गत प्रदत्त कम्प्यूटर एवं तकनीकों का पूर्ण रूपेण प्रयोग करते हुए उक्त मिशन की सफलता को दर्शाता है।
आपराधिक मामला आपसी राजीनामा से हुआ समाप्त –
मामला खंडपीठ क्र. 20 के पीठासीन अधिकारी श्री रवि कुमार कश्यप, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के न्यायालय का है, प्रकरण में दिनांक 04 नवम्बर 2022 प्रार्थी के द्वारा थाना पुलगांव, जिला-दुर्ग में उपस्थित होकर अभियुक्तगण के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कराया गया। प्रार्थी की रिपोर्ट के आधार पर आरोपीगण के विरूद्ध धारा 294, 323, 506 बी, 34 भा.द.वि. दर्ज कर अभियोग पत्र प्रस्तुत किये जाने पर आरोपीगण के विरूद्ध अभियोजित अपराध अंतर्गत आरोप विरचित किया गया। आज दिनांक 08 मार्च 2025 को आयोजित नेशनल लोक अदालत में प्रार्थी के साथ आरोपीगण न्यायालय में उपस्थित होकर न्यायालय द्वारा समझाईश दिये जाने पर राजीनामा करना व्यक्त करते हुए वर्तमान में आरोपीगण के साथ उसका अच्छा संबंध बन गया है और वह आरोपीगण के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं चाहना व्यक्त कर बिना किसी डर, दबाव और लालच के प्रकरण में राजीनामा हुआ, जिसके उपरांत आज आयोजित नेशनल लोक अदालत में राजीनामा के आधार पर प्रकरण समाप्त हो जाने से उभय पक्षकारगण न्यायपालिका की प्रक्रिया से बहुत खुश हुए और आपस में पुनः मधुर संबंध स्थापित करते हुए खुशी-खुशी अपने घर लौट गए।

दुर्ग। कृषि विज्ञान केन्द्र पाहंदा दुर्ग ’अ’ में 03 से 08 मार्च 2025 तक नर्सरी प्रबंधन पर ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में डॉ. एस.एस. टूटेजा, निदेशक विस्तार सेवायें, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा नर्सरी प्रबंधन का छत्तीसगढ़ में संभावनायें एवं महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। कृषि विज्ञान केन्द्र पाहंदा ‘अ‘ दुर्ग के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. विजय जैन ने नर्सरी हेतु स्थल चुनाव, अधोसंरचना स्थापना, शोभायमान एवं फूलों की नर्सरी प्रबंधन, कटिंग व बडिंग द्वारा पौध तैयार करना आदि में विस्तृत जानकारी प्रदान किये। कृषि विज्ञान केन्द्र पाहंदा ’अ’ के विषय वस्तु विशेषज्ञ उद्यानिकी डॉ. कमल नारायण ने प्रशिक्षणार्थियों को गुटी द्वारा पौध तैयार करना, ग्राफ्टिंग की विभिन्न तकनीक से फलदार नर्सरी पौध तैयार करना, नर्सरी से सिंचाई प्रबंधन, नर्सरी स्थापना हेतु मातृत्व बगीचा स्थापना, विभिन्न प्रकार के नर्सरी प्रबंधन आदि पर विस्तृत जानकारी दिये। डॉ. ललिता रामटेके ने नर्सरी में उर्वरक एवं खाद प्रबंधन तथा वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन पर विस्तृत जानकारी दिये। डॉ. विनय कुमार नायक नें नर्सरी में उपयोग होने वाले विभिन्न लघु उपकरणों के बारे में जानकारी दिये। डॉ. ईश्वरी साहू ने नर्सरी पौध में लगने वाले कीट एवं व्याधि के लक्षण एवं उनके निदान के बारे में विस्तृत जानकारी दिये। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 28 युवाओं ने भाग लिया एवं अंतिम दिवस प्रमाण पत्र वितरित किया गया। यह कार्यक्रम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन मैनेजमेंट हैदराबाद द्वारा प्रायोजित था। डॉ. दीप्ति झा वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी निदेशालय विस्तार सेवायें इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।