भूपेश बघेल ने डिप्टी सीएम अरुण साव पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
सुरक्षाबलों की जरूरत या आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन? विपक्ष और सरकार आमने-सामने
बिना टेंडर निर्माण पर कार्रवाई की मांग, सत्र में तीखी बहस और नारेबाजी
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन जमकर हंगामा हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और लोक निर्माण मंत्री एवं डिप्टी सीएम अरुण साव के बीच तीखी बहस ने सदन का माहौल गर्मा दिया। मामला कांग्रेस विधायक कवासी लखमा द्वारा सुकमा जिले में बिना टेंडर के पुल निर्माण का मुद्दा उठाने से शुरू हुआ।
बिना टेंडर के तीन पुलों का निर्माण: सवालों के घेरे में अरुण साव
कवासी लखमा ने प्रश्नकाल के दौरान गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सुकमा जिले में बिना टेंडर के तीन पुल बनाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह पुल प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत आने वाली सड़क पर बनाए जा रहे हैं, लेकिन इन्हें पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा करवाया जा रहा है। लखमा ने कहा कि यह काम दो फर्मों को सीधे बुलाकर दिया गया है, जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।
भूपेश बघेल ने साधा निशाना, पूछा- कार्रवाई कब?
कांग्रेस विधायक के सवाल के बाद भूपेश बघेल ने सीधे डिप्टी सीएम अरुण साव से पूछा कि बिना टेंडर के निर्माण कार्य कराने वाले अधिकारियों और इंजीनियरों पर क्या कार्रवाई होगी। जब साव ने इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया, तो भूपेश बघेल ने सदन में कहा, “अरुण साव भ्रष्ट हैं।”
अरुण साव का बचाव: सुरक्षाबलों की जरूरत का हवाला
अरुण साव ने अपने जवाब में कहा कि यह निर्माण सुरक्षाबलों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कराया गया था। उन्होंने कहा कि बरसात के समय जवानों को राशन और अन्य सामग्री पहुंचाने के लिए इन पुलों का निर्माण जिला प्रशासन की अनुमति से शुरू करवाया गया था। साव ने दावा किया कि अब तक ठेकेदारों को कोई भुगतान नहीं किया गया है और टेंडर की प्रक्रिया अभी चल रही है।
भ्रष्टाचार का आरोप और नारेबाजी
अरुण साव के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने सदन में जोरदार नारेबाजी की। भूपेश बघेल और कवासी लखमा ने एक सुर में कहा कि बिना टेंडर के काम शुरू करना और दो लोगों को सीधे बुलाकर ठेका देना, आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन और भ्रष्टाचार है।
विपक्ष का तीखा हमला
कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला तेज कर दिया है। भूपेश बघेल ने सवाल उठाया कि जब मामला उजागर हो चुका है, तो क्या राज्य सरकार दोषी अधिकारियों और इंजीनियरों पर कोई कार्रवाई करेगी या भ्रष्टाचार को ढकने की कोशिश करेगी।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सत्र में हंगामा जारी
इस विवाद के बाद सदन में सत्र बाधित हो गया और कांग्रेस विधायकों ने “भ्रष्टाचारी बंद करो” के नारे लगाए। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की चेतावनी दी है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज
सुकमा जिले में पुल निर्माण का यह मामला अब केवल विधानसभा तक सीमित नहीं रहा। राज्य के राजनीतिक गलियारों में इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है। कांग्रेस इसे भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण बता रही है, जबकि सरकार इसे सुरक्षाबलों की जरूरत का मामला करार दे रही है।
क्या सरकार पारदर्शिता दिखाएगी?
बिना टेंडर के पुल निर्माण का मुद्दा आदर्श आचार संहिता, पारदर्शिता और प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि सरकार इन सवालों का क्या जवाब देती है और क्या दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होती है।