महाराष्ट्र के गांव में कांग्रेस को शून्य वोट: बघेल ने बताया अस्वाभाविक
छत्तीसगढ़, हरियाणा और महाराष्ट्र के नतीजों पर बघेल ने जताई आपत्ति
चुनावी गड़बड़ी के संकेत: कांग्रेस ने की जांच की मांग
ईवीएम की विश्वसनीयता पर उठे सवाल, विपक्ष ने की पारदर्शिता की अपील
भाजपा ने कहा ‘हताशा’, विपक्ष ने दिया समर्थन
चुनाव आयोग की चुप्पी पर नजरें: निष्पक्ष जांच की मांग तेज़
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों के दौरान एक गांव में कांग्रेस को एक भी वोट न मिलने पर सवाल खड़े किए हैं। बघेल ने इसे संदिग्ध बताते हुए चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
भूपेश बघेल का बयान
भूपेश बघेल ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर लिखा:
“महाराष्ट्र के जिस गांव में हमें जीत मिली, वहां कांग्रेस को एक भी वोट नहीं मिला। यह कैसे संभव है? चाहे छत्तीसगढ़ हो, हरियाणा हो या महाराष्ट्र, चुनाव परिणाम गले नहीं उतर रहे हैं।”
बघेल के सवाल का संदर्भ
- बघेल ने महाराष्ट्र के एक गांव का उल्लेख किया, जहां कांग्रेस को कोई वोट नहीं मिला, जबकि अन्य आंकड़े पार्टी की मौजूदगी दिखा रहे थे।
- उन्होंने इस स्थिति को अस्वाभाविक और संभावित गड़बड़ी का संकेत बताया।
- छत्तीसगढ़ और हरियाणा के चुनावी नतीजों पर भी सवाल उठाते हुए उन्होंने इन परिणामों की निष्पक्षता पर संदेह जताया।
कांग्रेस की मांग
- चुनाव प्रक्रिया की जांच: बघेल और कांग्रेस ने इन चुनावी परिणामों की गहराई से जांच की मांग की है।
- ईवीएम की सत्यता पर सवाल: कांग्रेस के कई नेताओं ने ईवीएम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
- लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान: पार्टी ने निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग से कड़े कदम उठाने की अपील की है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
- भाजपा:
- भाजपा ने बघेल के आरोपों को “हताशा” करार दिया और कहा कि यह कांग्रेस की हार स्वीकार करने में असमर्थता को दर्शाता है।
- अन्य विपक्षी दल:
- कई विपक्षी दलों ने बघेल के बयान का समर्थन किया और निष्पक्ष जांच की मांग की।
- चुनाव आयोग:
- आयोग ने इन आरोपों पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
विश्लेषण
भूपेश बघेल द्वारा उठाए गए ये सवाल भारत में चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर चल रही बहस को फिर से सामने लाते हैं। चुनावों में शून्य वोट की घटनाएं बेहद दुर्लभ हैं और इसका कारण या तो मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ी हो सकता है या स्थानीय स्तर पर चुनावी रणनीति की विफलता।
आगे की राह
- चुनाव आयोग की भूमिका:
निष्पक्ष जांच से चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता बहाल हो सकती है। - पारदर्शिता की मांग:
राजनीतिक दलों और नागरिक समाज द्वारा अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग बढ़ सकती है। - राजनीतिक संघर्ष:
इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर आने वाले विधानसभा चुनावों को भी प्रभावित कर सकता है।
भूपेश बघेल का यह बयान लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर देता है। चुनाव आयोग और अन्य संबंधित संस्थाओं को इन मुद्दों पर ध्यान देकर जनता के विश्वास को मजबूत करना होगा।