जम्मू-कश्मीर प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, पिछले विधानसभा चुनावों यानी 2014 के बाद से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. इस साल आतंकी घटनाओं में 2014 के मुकाबले दसवां हिस्सा कमी आई है. कश्मीर क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में वोटिंग में अच्छी वृद्धि का एक प्रमुख कारण आतंकी घटनाओं में कमी ही मानी जा रही है. एक अधिकारी ने कहा कि ये महत्वपूर्ण है क्योंकि 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और केंद्र शासित प्रदेश में इसके पुनर्गठन के बाद जम्मू-कश्मीर में ये पहला विधानसभा चुनाव है.

हालांकि, जम्मू संभाग के एक जिले को छोड़कर सभी जिलों में मतदान प्रतिशत में 2014 के बाद से गिरावट आई है, जहां मतदान समाप्त हो चुका है. जम्मू संभाग में मतदान में कमी का एक संभावित कारण ये हो सकता है कि हाल ही में इस क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि हुई है. 27 सितंबर तक जम्मू क्षेत्र में 15 आतंकवादी हमले और मुठभेड़ों में 11 नागरिक और 17 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं.

18 और 25 सितंबर को पहले दो चरणों में मतदान करने वाले जम्मू-कश्मीर के 13 जिलों में से आठ में 2014 के विधानसभा चुनावों की तुलना में औसत मतदान कम दर्ज किया गया. इन 13 जिलों में से पांच जम्मू क्षेत्र में हैं, जबकि तीन कश्मीर घाटी में हैं.







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