सावन माह के अंतिम दिन पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय और स्थानीय विद्वानों ने साझा किए रुद्राष्टकम के सार, मानस मंथन 4.0 के ऑफलाइन आयोजन के लिए अपील

 

       रायपुर। मानस दर्शन जीवन अर्पण एक ऐसा ऑनलाइन मंच है जिसने श्रीरामचरितमानस के प्रचार-प्रसार में न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। छत्तीसगढ़ का यह प्रथम पटल है जिसने विपरीत परिस्थितियों में भी भगवान श्रीराम की कथा को जनमानस तक पहुंचाने का अनूठा कार्य किया है।

विशिष्ट परिकल्पना: इस मंच के संस्थापक दीपक गुहाजी मानस जिज्ञासु मरौद ने सावन माह के अंतिम दिन एक नई परिकल्पना के तहत “रुद्राष्टकम इदं प्रोक्तं” का आयोजन किया। यह कार्यक्रम 19 अगस्त से 27 अगस्त तक ऑनलाइन माध्यम से संपन्न हुआ। इसमें श्रीमदगोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के उत्तरकांड में वर्णित श्री शिव स्तुति रुद्राष्टकम का विस्तृत व्याख्यान किया गया।

कार्यक्रम की संरचना और प्रमुख वक्ता: इस मानस व्याख्यान में छत्तीसगढ़ सहित कई अंतरराष्ट्रीय संतों ने भाग लिया। प्रत्येक दिन एक नए वक्ता ने अपने विचार प्रस्तुत किए:

  1. प्रथम दिवस: श्री आदित्य त्रिपाठी जी महाराज, मैहर, मध्यप्रदेश
  2. द्वितीय दिवस: श्री मनहरण वर्मा जी, दुर्ग
  3. तृतीय दिवस: श्री मनसुख साहू जी, मुसरा डोंगरगांव
  4. चतुर्थ दिवस: श्री पीला राम शर्मा जी, कुम्हारी
  5. पंचम दिवस: श्री वेदराम साहू जी, धौराभाठा
  6. षष्ठ दिवस: श्री चैत राम साहू जी, बड़े गुरुजी
  7. सप्तम दिवस: श्री रामराजेश साहू जी, अहिवारा
  8. अष्टम दिवस: श्री पुरुषोत्तम राजपूत जी, बालोद
  9. अंतिम दिवस: श्री रामगोपाल तिवारी जी महाराज, रतनबन्धा, चित्रकूट, उत्तरप्रदेश

इन सभी वक्ताओं ने रुद्राष्टकम की महिमा और श्रीरामचरितमानस के प्रति अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम संचालन और संयोजन: कार्यक्रम का संचालन विभिन्न धर्मगुरुओं और विद्वानों ने किया, जिसमें आत्मा राम साहू, रामकुमार प्रजापति, भूपेश बनपेला, पुनेश्वर साहू, के के लिए सिन्हा, पिंटू पटेल, श्रीमती महेश्वरी साहू, और देवलाल सिन्हा शामिल थे।

समापन और अपील: इस ऑनलाइन आयोजन के समापन पर सभी राम कथा रसिकों से आग्रह किया गया कि वे आगामी मानस मंथन 4.0 के ऑफलाइन आयोजन में, जो केशकाल, बस्तर में आयोजित होगा, अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज कराएं। आयोजन के संयोजक मंडल के सहयोगी, हेमराज भार्गव, कनस कोमरे, आर डी साहू, माखन साहू, श्रीमती नूतन साहू, सविता सोन, वंदना साहू, विनीता धीवर, सरस्वती साहू, प्रतिभा साहू, कल्याणी सेन, संजना सिन्हा सहित श्री नीलकंठ ठाकुर, विष्णु साहू, छगन साहू, और बिहारी यादव भी उपस्थित रहे।

निष्कर्ष: मानस दर्शन जीवन अर्पण के इस अनूठे प्रयास ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का संरक्षण और प्रसार आधुनिक तकनीकों के माध्यम से भी किया जा सकता है। यह आयोजन न केवल श्रीरामचरितमानस के प्रति जनमानस की आस्था को प्रकट करता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।

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