पानी की कमी और गंदगी से जूझ रहे मरीज, प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल
झोलाछाप डॉक्टरों और अवैध लैब्स का खेल जारी, भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग
डोंगरगांव। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डोंगरगांव की स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। अस्पताल में भर्ती मरीज बदहाल स्थिति में हैं, जहां न तो पीने का पानी मिल रहा है, न ही साफ-सफाई हो रही है। गंदगी और पानी की कमी के कारण मरीजों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों को पीने के पानी और निस्तारी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है, जबकि अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से इन समस्याओं से अंजान बना हुआ है।
बोरवेल्स के बावजूद पानी की कमी
अस्पताल में पिछले दो वर्षों में चार से पांच बोरवेल्स की खुदाई की गई, जिन पर लाखों रुपये खर्च किए गए, लेकिन पानी का संकट अब भी बरकरार है। अस्पताल की बड़ी इमारत बनने के बावजूद पानी की समस्या ने अस्पताल को जकड़ रखा है। नगर पंचायत द्वारा भेजे गए पानी के टैंकर भी मरीजों की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहे हैं। अस्पताल में दैनिक उपयोग के लिए हजारों लीटर पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन पानी की उपलब्धता न के बराबर है।
भ्रष्टाचार की संभावना और पीएचई विभाग की भूमिका
नगर पंचायत भवन से सटे एक सामाजिक भवन से बोरवेल के माध्यम से पाइपलाइन बिछाई गई, जिस पर 6 लाख रुपये से अधिक खर्च किए गए। इस खर्च में भ्रष्टाचार की संभावना है, क्योंकि इतनी छोटी पाइपलाइन के लिए इतनी बड़ी राशि खर्च करना समझ से परे है। पीएचई विभाग और खंड चिकित्सा अधिकारी की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। जांच की आवश्यकता है कि कहीं इस परियोजना में वित्तीय अनियमितता तो नहीं हुई है।
झोलाछाप डॉक्टर और अवैध पैथोलॉजी लैब्स का खेल
डोंगरगांव में झोलाछाप डॉक्टर और अवैध पैथोलॉजी लैब्स का जाल फैला हुआ है, जो अधिकारियों के संरक्षण में बेधड़क चल रहे हैं। ये झोलाछाप डॉक्टर और लैब्स आम जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। अधिकारियों की निष्क्रियता पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर क्यों इन पर कार्रवाई नहीं हो रही है। आरोप है कि इन झोलाछाप डॉक्टरों और लैब्स को अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है, जिससे वे बेधड़क काम कर रहे हैं।
खंड चिकित्सा अधिकारी की स्थायी पदस्थापना पर सवाल
डॉ. रागिनी चंद्रे, जो पिछले 15 वर्षों से अधिक समय से डोंगरगांव के खंड चिकित्सा अधिकारी के पद पर स्थायी रूप से तैनात हैं, उनकी कार्यप्रणाली पर कई बार सवाल उठे हैं। वित्तीय अनियमितताओं और अन्य मामलों में उनके खिलाफ आरोप लगे हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह आश्चर्यजनक है कि इतने लंबे समय तक एक ही स्थान पर पदस्थापना क्यों की गई है।
सीएमएचओ का गैर जिम्मेदाराना रवैया
जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. नेतराम नवरत्न का रवैया भी अत्यंत गैर जिम्मेदाराना है। जब उनसे अस्पताल की समस्याओं के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि पानी की कमी सभी विकासखंडों में है और इसमें वे कुछ नहीं कर सकते। अस्पताल की गंदगी के बारे में पूछे जाने पर भी उन्होंने कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। उनका यह रवैया अस्पताल की स्थिति को और बदतर बना रहा है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डोंगरगांव की इस बदहाल स्थिति ने पूरे इलाके में चिंता और आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया है। सरकारी अधिकारियों की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार के आरोपों ने स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को बेहद दयनीय बना दिया है। अब देखना यह होगा कि इन समस्याओं का समाधान कब और कैसे होता है।